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The fantastic story of the King Matthews || कर्मफल भोगना पड़ता है

The fantastic story of King Matthews || कर्मफल भोगना पड़ता है 


The fantastic story of the King Matthews || कर्मफल भोगना पड़ता है



khaniya Hindi


पाँ

च सौ वर्ष पहले हंगरी में एक Matthews नाम का एक राजा राज्य करता था। वह अत्यन्त धर्मात्मा और न्यायप्रिय था। राजधानी से कुछ दूर पर छोटे-छोटे नगर और गाँव बसे हुए थे। उन्हीं में से एक गाँव में Markney नाम का एक धनवान सेठ भी रहता था। धोखा-दगा देने में उस सेठ की कोई तुलना नहीं थी। दूसरों को मुसीबत में डालकर उन्हें दूखी देखने में उसे बहुत आनन्द आता ता। वह बेहिसाब झूठ बोलता और जब दूसरा आदमी किसी संकट में फँस जाता तो उसे तरह-तरह से विश्वास दिलाकर अपने पक्ष में कर लेता। दूसरों को झाँसा देकर अपने मन की करवाना उसका खास धंधा था।

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Image by Gordon Johnson from Pixabay 
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एक बार Markney राजधानी में गया। वहाँ उसने कोई सौदा किया और थैली भर कर सुवर्ण मुद्राएँ लेकर वापस अपने गाँव में आ गया। उसने गाँव के लोगों से कहना आरम्भ किया कि उसने कुत्ते बेचकर इतना सारा सोना कमाया है और राजधानी में कुत्तों की बड़ी माँग है। यह बात उसने अनेक तरह के लोगों को समझाई और उन्हें अपनी बात का पूरा विश्वास दिया।

Markney की बातें सुनकर उसी गाँव के एक गरीब आदमी lyook मन में लालच पैदा हुआ। वह Markney के पास सदा और विनम्र शब्दों में बोला, “सेठजी, कुत्तों के व्यापार के बारे में मैंने जो बातें सुनी है, क्या वे सच हैं ?”

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Markney बोला, क्या सचमहाराज Matthews अंधाधुंध कुत्ते खरीद रहे हैं और उनका अच्छा दाम दे रहे हैं। यह बत मालू होते ही मैंने अपना काफी धन लगाया और कुत्ते खरीदकर उन्हें राजधानी में राजा को अच्छे मूल्य पर बेच दिया। इसी एक सौदे में मैंने थैली भर सोने की मुद्राएँ कमा लीं। मुझे तो तुम्हारी गरीबी पर दया आती है। धन कमाना चाहते हो तो राजा के हाथ कुत्ते बेचने का व्यापार करो। वे और भी अनेक कुत्ते खरीदना चाहते हैं। इस प्रकार उस धोखेबाज Markney ने गढ़कर पूरी दास्तना सुना दी।

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गरीब lyook ने अमीर Markney की बात का पूरा विश्वास कर लिया। उस गरीब के मन में धन कमाने का उत्साह उमड़ पड़ा। पर उसके पास पूँजी के नाम पर केवल एक मरियल सी गाय थी और कुछ नहीं था। अगर उसे थोड़े से धन की भी जरूरत हो तो उसे उस गाय को बेचना पड़ता, lyook इस अवसर को खोना नहीं चाहता था। वह उस मिरयाल गाय को हाट में ले गया औऱ उसे बेच डाला। उस धन से उसने कुछ कुत्ते खरीद लिये औऱ उनके गले में रस्सियाँ बाँधकर उन्हें राजधानी में ले गया।

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जब lyook राजमहल के द्वार पर पहुँचा, तब द्वारपालों ने उसे वहीं रोक दिया औऱ कितनी ही मिन्नतें करने के बाद भी अन्दर नहीं जाने दिया। lyook समझ गया कि Markney सेठ ने उसके साथ धोखा किया है। वह सीधा-सादा आदमी था, सेठ के दमा को समझ नहीं समझ सका और अब अपनी गाय भी खो बैठा। उसे देखकर राजसेवक ठहाका मारकर हँसने लगा। lyook रूआंसा हो गया। उसकी आँखों में आँसू भर आये।

राजमहल की छत पर से राजा ने देखा कि कुत्तों के साथ खड़ा एक गरीब आदमी रो रहा है। राजा Matthews ने तुरन्त सारी बात का पता लगाया और एक सेवक को आदेश दिया कि उस गरीब आदमी को तुरन्त राजा के सामने उपस्थित किया जाये।

गरीब lyook ने राजा के पास जाकर सारा वृत्तान्त सुनाया कि उसके गाँव के धनवान सेठ Markney ने उसके साथ कैसा धोखा किया है।

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राजा Matthews धर्मात्मा भी थे, और दयालू भी। उन्हें lyook पर बड़ी दया आयी। उन्होंने कहा, मैं सचमुच ही कुत्ते खरीदता हूँ, यह बात झूठ नहीं है, लो यह धन लो!” और उसे एक सौ स्वर्ण मुद्राएँ दिलवा दीं। उन्होंने कुत्ते रख लिये औऱ धनवान Markney का पता-ठिकाना ले लिया।

गरीब lyook की खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा। उसने गाँव लौटकर सबको यह किस्सा सुनाया कि Markney की सलाह से राजा को कुत्ते बेचकर उसने कितनी आसानी से सौ स्वर्ण मुद्राएं कमानी हैं।

Markney के आश्चर्य का ठिकाना न रहा। उसे क्या मालूम था कि उसकी मजाक एक करीब आदमी को सौ स्वर्ण मुद्राएं का मालिक बना देगी। उसका झूठ सच औऱ उसका धोखा दूसरे के लाभ का कारण बन गया। उसके दिमाग में विचारों की चक्की चलने लगी।

धनवान Markney से रहा नहीं गया और वह अपने धन को बढ़ाने का यह सरल उपाय कार्यान्वित करने का विचार करने लगा। विलम्ब से नुकसान हो सकता था। उसने तत्काल अपनी सारी जायदाद बेच डाली। और जितना भी धन था, उससे हजारों कुत्ते खरीद लिये। वह उन्हें राजधानी में हाँक ले गया और राजमहल के सामने पहुँचा। Markney के द्वारपालों से झगड़ा हो गया। उन्होंने Markney और उसके कुत्तों को राजमहल के अन्दर नहीं जाने दिया। Markney बड़े जौर से चिल्ला उठा। द्वारपालों ने भी उसे जोर से धमकाया। कुत्ते भी क्यों  चुप रहते। वे भी भूंखने लगे।

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शोरगुल होने के कारण राजा Matthews ने राजमहल की धत पर से नीचे देका। राजा ने धनवान Markney और उसके कुत्तों को अन्द लाने का आदेश दिया।

Markney ने राजा को बताया कि वह कुत् का सौदा करने आया है। राजा Matthews समझ ही गये कि वह वही सेठ Markney है, जिसने गरीब lyook को धोखा दिया था। राजा Matthews बोले, सेठ Markney, मुझे जरूरत नहीं हैं. मुझे बड़ा दुख है, पर तुम देर से आये।

सेठ Markney तो आसमान से गिर पड़ा। वह निराश होकर मुँह लटकाये अपने गाँव पहुँचा। वह अपनी सारी जायदात को तो दे ही चुकी था। हाथ में पैसा भी नहीं था। उसके कुत्तों के सौदे की बात पर गाँव के लोग उसका मजाक उड़ाया करते। अब Markney ने भी अपना पुराना धोखाधड़ी का स्वभाव बदल दिया था। धोखे की सजा ने उसे बहुत कुछ सिखा दिया था। 

कर्मफल भोगना पड़ता है।

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