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Short Motivational Story In Hindi- हार कभी नही मानना

Short Motivational Story In Hindi- हार कभी नही मानना

Short Motivational Story In Hindi- हार कभी नही मानना

Short Motivational Story In Hindi- ये बात बहुत पुरानी है एक बार एक जंगल में एक गुरूकुल था जिसमें अत्यधिक संख्या में छात्र अध्ययन करने आते थे। एक बार गुरू सभी छात्रों को कुछ पड़ा रहे थे लेकिन उनमें से एक छात्र को बार बार समझाने के बाद भी समझ में नही आ रहा था। गुरू जी ने उसे समझाने का बहुत प्रयास किया लेकिन उसे समझ में अखिर कार नहीं आया।

गूरू जी को बहुत क्रोध आया और गूरू ने उस छात्र को उठकर पास आने को बोला औऱ कहा अपने हाथ की हथेली दिखाओ शिष्य, छात्र ने अपने हाथ को गुरू के सामने किया, गूरू जी ने उसकी हथेली बहुत ध्यान से देखी। और बोले बेटा तुम घर जाओ तुम्हारे भाग्य में पढ़ना नहीं लिखा हुआ। छात्र ने पुछा कैसे गूरूदेव? गुरू जी ने कहा, “तुम्हारे हाथ में विद्या की रेखा ही नहीं है।” इसलिए तुम घर जाओ आराम करो, और जिन्दगी मे कोई दूसरा काम ढूंढ़ों और उसे करो। उसके बाद गूरू जी कक्षा के सबसे बुद्धिमान छात्र को उठाया और उसकी हथेली को दिखाया, बोले ये देखो, “ये है विद्या की रेखा, जो तुम्हारे हाथ नहीं है।” इसलिए समय बर्बाद मत करो जाओ कोई और काम करो। (Short Motivational Story In Hindi- हार कभी नही मानना)

छात्र ने गुरू जी की पुरी बात सुनी, और फिर अपने बैग से एक चाकू निकाला, जिसे सुबह वह दातुन काटने के लिए इस्तेमाल करता था। छात्र ने उस चाकु से अपने हाथ में बहुत गहरी लकीर खीच दी। और गुरू जी दिखाया अब देखो मेरे हाथ में भी विद्या की रेखा आ गयी। उसके हाथ से खून बहुत बह रहा था। गुरू ने उसे दिखकर अचम्भित हो गये तुमने अपने हाथ में विद्या की रेखा बना ली।

(Short Motivational Story In Hindi) गुरू यह देखकर बहुत ग्लानि होने ली। गुरू जी ने उस छात्र को अपने गले लगा लिया और उसके हाथ में पट्टी बाँधी औऱ कहाँ प्यारे शिष्य तुम्हे ये विद्या सीखे से इस धरती पर कोई बाँधा नहीं रोक सकती है। जिसकी दृढं, निश्चय और परिश्रम से अपने हाथ की रेखा बदल सकता है उसे कोई काम करने से कौन रोक सकता है। 

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(Short Motivational Story In Hindi- हार कभी नही मानना) प्यारे दोस्त, यह वही छात्र था जो आगे चलकर महर्षि पाणिनी नाम का एक विद्वान बना। जिसने अष्टाध्यायी नाम की एक पुस्तक की रचना की, जो पुरे विश्य की प्रसिद्ध  व्याकरण की पुस्तक है। ये बात आज से लगभग 2700 ई. पू. की है जो आज भी भाषा में ऐसा उत्कृष्टता और पूर्ण व्याकरण व्याख्या की पुस्तक अब तक नहीं हुई है। 

दोस्त इस छोटी सी कहानी का निष्कर्ष यह है कि जो लोग अपने जिन्दगी में जो काम ठान लेते है उसे करके दिखाते है ऐसा समाज में लाखों उदाहरण है जिससे कभी न कभी अपने देखा, सुना या पढ़ा होगा।

अब यहा तक आ ही गये हो तो एक प्यारा सा कमेंट करके हमारे मनोबल को बढ़ा सकते हो।

धन्यवाद।


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